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लोजपा वास्तव में कालनेमी की तरह है

लोजपा वास्तव में कालनेमी की तरह है

बिहार चुनाव में लोजपा की भूमिका

जिस तरह कालनेमी ने राम-राम जप कर हनुमान जी को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया था उसी तरह लोजपा वाले भी मोदी-मोदी जप कर भाजपा समर्थकों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहे है। लेकिन वास्तव में वो लालू के बेटों के लिए सत्ता का रास्ता आसान बना रहे है।
क्योंकि अगर इस वजह से जदयू के वोट प्रभावित होंगे तो कही न कही ये भी संदेस जाएगा कि भाजपा जदयू की मदद नहीं कर रही इस तरह जदयू वालो को भी भाजपा की मदद नहीं करना चाहिए। इस तरह उनलोगों की मंशा है कि सभी विधानसभा सीटों पर चाहे-अनचाहे भाजपा-जदयू को आपस में ही लड़ा दे, और सारा मैदान खाली हो जाए। इसका सीधा फायदा लोजपा को नहीं मिलेगा बल्कि राजद-कांग्रेस गठबंधन को ही मिलेगा।
लेकिन जिस प्रकार वास्तविकता का पता चलते ही हनुमान जी ने कालनेमी को एक घुसे में ही खत्म कर दिया था इसी प्रकार विकास चाहने वाले समस्त भाजपा-राजग समर्थकों को भी लोजपा-राजद के इस प्रोपगंडा के वास्तविकता को समझ वोट के माध्यम से उसे करारा जबाब देना चाहिए।

हार से एक और विभाजन का खतरा

आगामी बिहार और बंगाल चुनाव अगर हम हारते है तो देश मे एक और विभाजन का खतरा बढ़ जाएगा। यह वही खतरा है जिसे समय रहते आजादी से पहले आम जनता भाप नहीं पाई थी और देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।
जिस प्रकार भीम आर्मी, पीएफआई और अन्य विभाजनकारी शक्तियाँ दिन पर दिन सर उठाने का प्रयत्न कर रही है उनका समूल नाश तभी किया जा सकता है जब सत्ता में राष्ट्रवादी सरकार निरंतर बनी रहे। लेकिन वर्तमान में राजसभा में बहुमत नहीं होने के कारण ही बहुत सारे राष्ट्रहित के मुद्दों पर भाजपा को चुप रहना पड़ जा रहा है। राज्य सभा में हम बहुमत तभी पा सकते है जब राज्यों में भी हमारी सरकार हो। अतः हो सकता है कि आपको राज्य सरकार से या आपके स्थानीय जनप्रतिनिधि से कोई व्यक्तिगत शिकवा-शिकायत हो लेकिन समय की मांग यही है कि हम बीजेपी समर्थित राजग गठबंधन को मजबूती से समर्थन करें इसी में राष्ट्र का भला है।

राष्ट्रवादी शक्तियों का सत्ता में निरंतर बने रहना जरूरी

कई लोग यह बचकाना तर्क देकर विरोध कर रहे है कि सत्ता का हमेशा परिवर्तन होते रहना चाहिए ताकि कोई सरकार निरंकुश न हो जाए।
लेकिन यहाँ परिस्थितियों को समझना एकदम आवश्यक है, भारत में लोकतंत्र है अतः हर सरकार यह बखूबी जानती है कि निरंकुश होने पर जनता कभी भी वोट के माध्यम से हमारी सरकार गिरा सकती है और यह तर्क तभी सूट करता है जब कोई सरकार निरंकुश बन जाए न कि निरंकुश होने की संभावना हो।
लेकिन भारत मे जिस प्रकार कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित वामदलों की विचारधारा ने इस देश पर 60 साल तक लगातार शासन करके इस देश का ताना बाना बिगाड़ दिया है उसको सुधारने के लिए केंद्र और राज्य दोनों जगह पर सत्ता में राष्ट्रवादी शक्तियों को निरंतर बने रहना एकदम अत्यावश्यक है।

लगातार जितने से क्या फायदा होगा?

जब ऐसा हो जाएगा कि भाजपा हर चुनाव जीतने लगे तो दो फायदे होंगे, एक तो हर राजनीतिक दल को लगने लगेगा कि अब मुस्लिम तुष्टिकरण और जाति की राजनीति से हम सत्ता पाने से रहे, अतः वे भी धीरे-धीरे ट्रेक पर लौटने लगेंगे और हिन्दू विरोधी राजनीति समाप्ति की कगार पर होगी।
दूसरे हमारे सिस्टम में जो भी अधिकारी है वो अब भी किसी भी मामले में सेक्युलरिज्म के नाम पर हिन्दुओ के साथ पक्षपात करते नजर आ ही जाते है क्योंकि उनको लगता है कि ये जो भाजपा की सरकार है बस चंद दिनों की मेहमान है अतः वे बिना भय हिंदू विरोधी नीति लागू करने में शामिल हो जाते है। वैसे लोगो को लगातार हत्तोसाहित तभी किया जा सकता है जब सत्ता में हमारी निरंतरता बनी रहे। ©आलोक देश पाण्डेय

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