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तेल्हाड़ कुंड : बिहार की धरा पर भी है अनुपम सौंदर्य

तेल्हाड़ कुंड : बिहार की धरा पर भी है अनुपम सौंदर्य

दिनांक:- 23 अगस्त 2020
स्थान:- बिहार में भभुआ से 32 किलोमीटर आगे भभुआ अघौरा मार्ग पर स्थित तेल्हाड़ कुंड

आम तौर पर हम जब भी किसी जलप्रपात (वाटरफॉल) के बारे में कल्पना करते है तो हमे शायद ही बिहार के किसी जगह के बारे में ध्यान आता है लेकिन बिहार में ही अपने बक्सर से सटे रोहतास और कैमूर जिले में कई ऐसे जलप्रपात है जिसकी अनुपम छटा बरसात के दिनों में देखने योग्य है। हालाँकि ये जलप्रपात सालो भर जीवित न रहकर केवल बरसात में ही अपने असली सौंदर्य पर आते है शायद इसीलिए ज्यादा फेमस नहीं होंगे। लेकिन जितने भी दिन जीवंत रहते है वे भरपूर सौंदर्य का अहसास कराते है।

एक दिन में आप वापस आ सकते है

आप बक्सर से इन जगहों पर एक दिन में घूम कर वापस उसी दिन आ सकते है। आमतौर पर हम कही घूमने की योजना बनाते है तो ठहरने के बारे में भी सोचने लगते है लेकिन यहाँ उसकी जरूरत नहीं है। आप 3-4 घण्टे में आराम से यहाँ पहुँच सकते है और उसी दिन वापस आ सकते है।

बेहतरीन सड़के:-
तेल्हाड़ कुंड जाने के लिए अगर हम चौसा होते हुए मोहनिया-भभुआ-अघौरा का रास्ता पकड़ते है तो यह सड़क बहुत ही बेहतरीन है जो आपको ज्यादा थकावट का अहसास नहीं होने देती।
इसमे हमे केवल मोहनिया से भभुआ तक का सड़क थोड़ा-बहुत गड्ढे से युक्त दिखा वरना पूरा रास्ता बहुत ही बेहतरीन है।

पिकनिक स्थल :-

इस स्थान पर अगर हम कार से भी जाते है तो सीधे जलप्रपात के पास हम गाड़ी से पहुँच सकते है। इसलिए बहुत से लोग वहाँ पिकनिक के लिए भी पहुँचे हुए थे। वहाँ पहुँचने पर बहुत से लोग ऐसे दिखे जो अपना लिटी चोखा इत्यादि बनाने का सारा इंतेजाम लेकर पहुँचे थे और कई अलग-अलग जगहों पर पिकनिक मना रहे थे।

मेरी तेल्हाड़ कुंड की यात्रा

जैसा कि हमलोगों ने पता किया था यह बक्सर से 107 किमी था अतः बाइक से जाने पर निश्चित रूप से 3-4 घण्टे लग सकते थे अतः हमलोगों ने सुबह 5 बजे ही घर से निकलने की योजना बनाई। हमलोग कुल 8 दोस्तो ने 4 बाइक से इस जगह पर जाने का प्लान बनाया था। लेकिन दो दोस्त इतनी जल्दी उठ ही नहीं पाए और हम केवल 6 ही बिना उनलोगों का इंतजार किए निकल लिए। हमारे एक दोस्त के पास ड्रोन कैमरा और डीएसएलआर कैमरा दोनो था। समान के नाम पर हमलोगों ने केवल नहाने का कपड़ा ले लिया था और पानी तथा कुछ खाने का सामान भी। चूँकि वहाँ कोई दुकान नहीं मिल पाएगी अतः अगर आप वहाँ खाली हाथ जा रहे है तो भभुआ या आगे भगवानपुर में ही पानी और खाने का इंतेजाम जरूर कर ले।
5 बजे के निकले-निकले हमलोग 9 बजे तक जलप्रपात पर थे। रास्ते में मोहनिया में 10 मिनट के लिए रुके थे वही कुछ लोग नास्ता कर लिए और कुछ आगे खाने के लिए फल वैगेरह ले लिए थे।
वहाँ पहुँचते ही वहाँ की अनुपम सौंदर्य ने मंत्रमुग्ध कर दिया और जलप्रपात के आसपास के क्षेत्र में घूमते हुए फोटोग्राफी में ही दो घण्टे कब बीत गया पता ही नहीं चला। तब धूप खिल गई थी और गर्मी भी लग रही थी, सो नहाने चल दिए। वहाँ एक ही धार दो बार गिरता है, सभी छोटे वाले धार पर ही नहाते है उसके आगे बड़ा धार बहुत ही गहरी खाई में गिरता है। जो अनुपम सौंदर्य पैदा करता है। दोपहर में 1 बजे तक हमलोगों ने वहाँ नहाया फिर जाने की तैयारी करने लगे। वहाँ पहाड़ पर भी सड़के बहुत ही अच्छी थी, मौसम सुहावना होने पर बीच-बीच में ही पहाड़ो के बीच रुक कर फोटोग्राफी का शौक पूरा करते थे। वहाँ लौटते वक्त हमलोग भगवानपुर में रुके जहाँ थोड़ा बहुत नास्ता भी किए। वहाँ से मुंडेश्वरी धाम मात्र 7 किमी था सो वहाँ भी चलने की योजना बनी लेकिन वहाँ जाने पर कोरोना के कारण मंदिर बंद मिला। सो नीचे से ही प्रणाम कर हमलोग वापस चल दिए। और फिर बक्सर पहुँचते-पहुँचते हमलोगों को शायं का 5 बज गया।
जो भी हो आज का दिन हमलोगों के लिए यादगार बन गया था।

उम्मीद है मेरी यह यात्रा संस्मरण आप सबको पसंद आई होगी और वहाँ न जाने कितनों लोगो को पर्यटन के लिए भी प्रेरित करेगी।

(नोट:- यह यात्रा संस्मरण मैंने खासकर अपने गृह जिले बक्सर के लोगो को ध्यान में रखते हुए लोकल टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतु लिखा था, क्योंकि कुछ साल पहले खुद हमको नही मालूम था ऐसी कोई जगह है।)

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