आर्य शब्द का प्रयोग टाइटिल में नहीं करना चाहिए

आज कल देख रहे है कि कई लोग अपने नाम के पीछे आर्य लगा ले रहे है। मुझे आर्य या अन्य कोई भी टाइटिल लगाना उचित प्रतीत नहीं होता। दोस्तों आज की हमारे हिन्दू समाज में सबसे बड़ी समस्या ये जन्मना जाति व्यवस्था ही है। ये जाति व्यवस्था ही है जो हम हिन्दुओ को एक होकर किसी मुद्दे पर खुल कर लड़ने नहीं देता। ये विकृत जाति व्यवस्था ही था जिसके कारण हम बटे हुए हिन्दू लगभग हजार वर्ष तक गुलामी झेले और अगर ये जाति व्यवस्था समय रहते न खत्म हुआ तो वो दिन भी दूर नहीं जब हम फिर से गुलामी कि बेड़ियों में बंध जाए।       अब आते है मुद्दे पर… आखिर हम अपने नाम के पीछे आर्य लिख कर समाज को क्या दिखाना चाहते है? जब हम ये जानते है कि आर्य का मतलब श्रेष्ठ होता है तो नाम के पीछे आर्य लगाने से क्या हम श्रेष्ठ हो जाएँगे या हम श्रेष्ठ है इसलिए अपने नाम में आर्य लगा देते है. दोनों ही स्थितियों में ऐसा करना गलत है।             पहली स्थिति तो ठीक उसी प्रकार है जैसे कोई चोर भी अपना नाम के पीछे साधू रख कर साधू बन जाए। इसके संबंध में कुछ लोग ये तर्क देते है कि जैसे हम अपना नाम महापुरुषो के नाम पर इसलिए रखते है क्योंकि हम उसके गुणों को अपने में उतार सके, इसी प्रकार हम अपने नाम में भी आर्य इसलिए लगाते…

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