रोहतास भ्रमण, बिहार
(भाग- 1)
दिनांक:- 24 सितंबर से 27 सितंबर 2020
स्थान- रोहतास जिला (बिहार)
अब लॉकडाउन का प्रभाव कहे या कुछ और लेकिन लॉकडाउन खत्म होने बाद विगत महीने में बक्सर से लगभग सैकड़ो लड़के कैमूर के पहाड़ियों में स्थित झरनों का लुफ्त उठाने के लिए इन जगहों पर गए और सोशल मीडिया पर फोटोज वैगेरह भी डाले। ऐसे ही एक अनुभव को मैंने यात्रा संस्मरण के रूप में लिखने का प्रयास किया है।
रोहतास के प्रमुख पर्यटन स्थल
आमतौर पर सासाराम में शेर शाह शूरी का मकबरा रोहतास के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक है लेकिन इसके अलावा भी बहुत से ऐसे जगह है जो शहर से दूर जरूर है लेकिन प्रसिद्ध है, इनमें से दो किले एक रोहतास किला तथा दूसरा शेरगढ़ किला है। इसके अलावा, दो डैम है, एक डिहरी बराज और दूसरा कमलचट डैम, गुप्ता धाम भी रोहतास में ही है, इसके अलावे बहुत सारे जलप्रपात है जो की बहुत लोकप्रिय है।
यात्रा प्रारंभ
हम लोग यहाँ बक्सर से दो बाइक पर कुल 4 लोग चले थे, 24 को सुबह निकलते-निकलते 9 बज गया। 12 बजे हमलोग सासाराम पहुँचे। वहाँ हमलोगों के साथ दो लोग और जुड़ गए। हमलोगों ने तय किया था कि पहले दिन ही रोहतास किला घूम लिया जाए फिर जल प्रपात भ्रमण किया जाएगा। रोहतास किला सासाराम से लगभग 60 किमी दूर नौहट्टा प्रखंड में पड़ता है। वहाँ हमलोग ने आनंदीचक गाँव में पहले से ही एक स्थानीय व्यक्ति के यहाँ ठहरने की व्यवस्था कर रखी थी। लेकिन सुबह लेट से चलने के कारण हमलोगों को वहाँ पहुँचते-पहुँचते ही शाम हो गई। ऊपर से करीब 150 किमी लगातार बाइक चलाते-चलाते शरीर पूरी तरह थक गया था, सो आज आराम करने की सोचने लगे और कहि नहीं गए। शाम को उनके गाँव के खेत वैगेरह घूमने निकले।
महादेव खोह जलप्रपात
नौहट्टा प्रखंड में एक सबसे प्रसिद्ध जगह महादेव खोह जलप्रपात था। यहाँ पहाड़ की एक छोटी सी गुफा में शिवलिंग स्थापित था और बगल में ही झरना गिर रहा था। वहाँ लोगो ने सुझाव दिया कि आपलोग पहले महादेव खोह स्थित झरने में स्नान कर आइए फिर भोजन पश्चात रोहतास किला की ओर चलते है। इसके लिए हमलोग सुबह-सुबह ही उठकर बाइक से महादेव खोह की ओर चल दिए। अब तक हमलोग का समूह वहाँ के कुछ स्थानीय लोगो के भी साथ जुड़ने से लगभग 10-12 लोगो की हो गई थी।
जब हमलोग वहाँ पहुँचे तो वहाँ पुजारी के अलावा और कोई नहीं था। हालाँकि वहाँ के लोग बता रहे थे कि कोरोना काल से पहले के सामान्य दिनों में सावन वैगेरह में यहाँ जल चढ़ाने के लिए लंबी-लंबी लाइने लगती है। महादेव खोह का जलप्रपात बहुत ज्यादा ऊँचाई से भी नहीं गिर रहा था कि नहाने में चोट लगे बस किनारे पर थोड़ा बहुत फिसलन जरूर था, अतः वहाँ सभी लोग झरने के नीचे ही जाकर स्नान कर रहे थे। नहाने के ही क्रम में एक दिलचस्प घटना घटी, मेरे एक मित्र का चश्मा गलती से कुंड में गिर गया। लेकिन जब हमलोगों ने खोजना चालू किया तो उसके चश्मे के बदले बहुत सारे चश्मे वहाँ से निकाले जो न जाने कितनों दिनों से पड़े होंगे। अंततः उसका चश्मा भी मिल ही गया।
वहाँ से लौटने के बाद हमलोगों ने भोजन किया और रोहतास किला जाने की तैयारी करने लगे। लेकिन तभी बक्सर के मेरे एक मित्र का तबियत खराब हो गया। उसको लगातार उल्टी हो रही थी और हमें आगे बहुत कठिन चढ़ाई चढ़नी थी। मैं जब भी किसी यात्रा पर निकलता हूँ अपने साथ एक फर्स्ट ऐड बैग जरूर रखता हूँ। इस परिस्थिति में मेरा मेडिकल किट बहुत काम आया। उसको डिहाइड्रेशन न हो जाए, इसलिए मैंने उसे O.R.S. तथा उल्टी की दवाई देकर उसको यात्रा बीच में ही समाप्त कर बक्सर जाने के लिए बोल दिया और हमलोग आगे रोहतास किला की ओर रवाना हो गए।
क्रमशः
यात्रा के दौरान ली गई कुछ तस्वीरें
- इस यात्रा संस्मरण के कुछ अन्य हिस्से
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