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वैष्णो देवी और हिमाचल यात्रा, जून 2021 (लॉकडाउन के तुरंत बाद)

वैष्णो देवी और हिमाचल यात्रा

#वैष्णो_देवी_और_हिमाचल_यात्रा

#यात्रा_वृत्तांत

by Alok

दिनांक:- 19.06.2021 से 01.07.2021 तक


पार्ट 1

वैष्णो देवी यात्रा वर्तमान स्थिति

दिनांक:- 23.06.2021 (बुधवार)

 

भी हमलोगों कल ही माँ कर दर्शन कर उतरे है तो वहाँ अभी लॉकडाउन के बाद दर्शन के लिए क्या परिस्थिति है उसके लिए मैंने यह आर्टिकल लिखा है।

यात्रा शुरुआत और कोविड टेस्ट:-

    हमलोग कुल 6 लोग थे और हमने अपनी यात्रा 19 जून को बिहार के बक्सर से शुरू की थी। 21 जून को सुबह 8 बजे हमारी ट्रेन जम्मूतवी रेलवे स्टेशन पर पहुँची। वहाँ रेल से उतरते ही सभी लोगो का कोरोना का एंटीजन टेस्ट होने लगा, लेकिन हमलोगों ने यहाँ बक्सर में ही टेस्ट करवा कर ट्रेन में चढ़े थे सो तुरंत रिपोर्ट दिखाई और बाहर निकल गए। इससे समय का बहुत बचत हुआ क्योंकि टेस्ट कराने के लिए बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी।

जम्मू से कटरा वाया बस:-

     जम्मू में घुसते ही हमलोग का नेटवर्क गायब हो गया था सो यहाँ उतरते ही सबसे पहले हमलोगों में से एक ने 400 रु का एक एयरटेल का सिम ले लिया। बाकी लोग उसके हॉटस्पॉट से नेट कनेक्ट कर लिए। पुरी यात्रा में एक ही नेट वाला मोबाइल से सबको काम चलाना पड़ा।

    वैष्णो देवी जाने के लिए हमे सबसे पहले जम्मू से 45 किमी दूर कटरा जाना पड़ता है, वहाँ जम्मू में स्टेशन के बगल में ही कटरा के लिए बस लगे हुए थे, बस वाला ने हमसे प्रति व्यक्ति 120 रु लिया और करीब दो घण्टे बाद हमलोग कटरा में थे।

लॉकडाउन के इफ़ेक्ट और सस्ता होटल:-

    वर्तमान लॉकडाउन और लोगो को पर्याप्त जानकारी के अभाव में भीड़ पूरी तरह नदारद नजर आ रही थी, न ही स्टेशन पर न ही बस में और न ही कटरा शहर में। हालांकि दुकाने खुली थी लेकिन ज्यादातर दुकानदार मक्खी ही मारते दिखे। इसी दौरान हमलोगों ने बस स्टैंड से थोड़ा दूर जाकर एक होटल वाले से बात किया तो वह मात्र 800 रु में ही सभी छः लोगो के लिए फुल A.C. रूम देने को तैयार हो गया। हालांकि जो बेड मिला था उसपे तीन लोग ही सो सकते थे लेकिन कमरे बड़े होने के कारण उसने फर्स पर और बेड लगवा दिया जिससे बाकी लोगो को भी सुविधा हो गई। उसके बाद सभी लोगो नहा धो कर बाहर खाना खाने गए और शाम को 7 बजे से चढ़ाई चढ़ने की योजना बनी क्योंकि दिन में बहुत धूप लग रहा था और उधर मानसून भी अभीतक आया नहीं था कि मौसम सुहावना होता।

यात्रा पर्ची और कठिन चढ़ाई:-

    इस यात्रा के लिए सबसे पहले लोगो को maavaishnodevi.org के website पर अपना आधार कार्ड देकर registration कराना पड़ता है उसके बाद आपको एक यात्रा पर्ची मिलती है उसको दिखाने के बाद ही आपको चढ़ाई चढ़ने के लिए अनुमति मिलेगी अतः यह कार्य पहले से कर के रखे। हालांकि भीड़ नहीं होने के कारण हमसे किसी ने इसके बारे में पूछा ही नहीं।

   वैष्णो देवी भवन की दूरी कटरा से 13 किमी की पैदल चढ़ाई पर स्थित है जिसे पूरा करने में रात भर भी लग जाता है, लेकिन हमलोगों के ग्रुप में सभी युवा ही थे इसलिए बीच मे बिना ज्यादा रुके 7 बजे के चले रात को 12 बजे से पहले ही भवन तक पहुँच गए।

 

वैष्णो देवी दर्शन:-

   वैष्णो देवी चढ़ाई में तीन जगह दर्शन किया जाता है, सबसे पहले “भवन” जहाँ माता ने भैरव का वध किया था उसके बाद उससे भी 2.5 किमी ऊपर भैरव का मंदिर जहाँ भैरव का शीश गिरा था पर क्षमा याचना करने पर माता ने उसको भी पूजित होने का वरदान दे दिया था। और भवन से नीचे रास्ते के बीच में अधकुवारी गुफा है जहाँ माता ने 9 महीने तपस्या की थी। अधकुवारी गुफा बहुत ज्यादा संकरी है अतः सभी दर्शनार्थी उसे किसी तरह हाथ के बल चलते हुए पार करते है इसीलिए प्रति व्यक्ति समय भी ज्यादा लगता है अतः उसके लिए एक पर्ची कटाकर अलग से नंबर लगाना पड़ता है। हमारे हिसाब से चढ़ाई चढ़ते समय पर्ची कटवा लेना चाहिए फिर उतरते समय उस पर्ची के अनुसार अपनी बारी आने पर दर्शन कर सकते है।

     इसके अलावा रोज सुबह माता वैष्णो देवी का आरती कार्यक्रम होता है हमारे साथ एक लड़का 2000 रु दे आरती में बैठने के लिए बुकिंग करवाया। फिर सुबह 6-8 बजे लाइव प्रसारित होने वाली आरती में उसे सम्मिलित होने का मौका मिला।

 

भैरव मंदिर दर्शन:-

     चूँकि माता ने उसको वरदान दिया था कि बिना तुम्हारे दर्शन किए मेरी यात्रा अधूरी मानी जाएगी इसीलिए लोग उसके मंदिर को भी जाते है। यह पैदल रास्ते से 2.5 किमी ऊपर पड़ता है लेकिन आजकल रोपवे का निर्माण हो गया। अतः हमलोग रोपवे में केबिन में बैठककर तुरंत ऊपर पहुँच गए फिर दर्शन कर उसी तरह वापस भी आ गए।

 

उतराई और अधकुवारी दर्शन:-

    भैरव मंदिर दर्शन के पश्चात हमलोगों ने उतरना शुरू किया। हालाँकि उतरने में चढ़ने के मुकाबले कम शक्ति खर्च करना पड़ रहा था लेकिन फिर भी अबकी बार हमलोग दोपहर में उतर रहे थे तो धूप के चलते हल्की परेशानी आ रही थी। रास्ते मे अधकुवारी के पास दर्शन के लिए हमलोग रुक गए, फिर वही भोजन वैगेरह कर आगे की ओर प्रस्थान किए। उतरने में हमलोगों को 4 बज गया। इस बीच सभी लोग बुरी तरह थक गए थे सो होटल गए तो तुरंत सो गए और 8-9 बजे भोजन के वक्त ही जगे।

उसके बाद आज 23 जून को सभी जम्मू शहर घूमने की योजना बना रहे है।


पार्ट 2

पिछले संस्मरण में हमने वैष्णो देवी यात्रा की ताजा स्थिति के बारे में जानकारी दी उसके तुरंत बाद हमलोगो ने हिमाचल प्रदेश का भी भ्रमण किया जिसमें धर्मशाला, बीर-बिलिंग, कुल्लू-मनाली आदि प्रमुख जगह रहे।

(इस यात्रा वृतांत में हमने लॉकडाउन के तुरंत बाद हिमाचल यात्रा के अनुभवों को लिखा है)

 

#वैष्णो देवी का दर्शन तथा उसके बाद जम्मू शहर दर्शन:-

 

22 जून को हमलोग माता रानी के दर्शन कर नीचे उतर गए थे और अगले दिन 24 के रात को बक्सर के लिए हमारी ट्रेन थी, लेकिन हमारे एक मित्र जो हिमाचल में रहते थे वे हमको अपने यहाँ घुमाने के लिए बुलाने लगे। इसके चलते हमलोग का ग्रुप दो भागों में बट गया और 6 में 3 लोग पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत 24 को ही बक्सर के लिए प्रस्थान कर गए और मेरे साथ हिमाचल जाने वाले बस दो ही बच गए एक अनिकेत और दूसरा सर्वजीत। हम    तीनों ने अपने-अपने टिकट कैंसेल किए और प्लान बना दिए हिमाचल चलने का। इस बीच जो दो दिन का समय बच रहा था उसमें हम सभी ने जम्मू और  आसपास के क्षेत्र को घूमने का निर्णय लिया और इसके लिए एक इनोवा बुक कर लिया।

जम्मू में भ्रमण करते हुए

उस इनोवा के ड्राइवर ने आसपास के सभी देवी स्थान, मंदिर इत्यादि के दर्शन कराए जिसमें हमलोगों ने जम्मू के प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर, कोल कंडोली माता, जामवंत जी का मंदिर, और बाहु किला के दर्शन किए। दिनभर घुमाने के बाद अंत मे शाम को वह हमलोगों को जम्मू स्टेशन पर उतार गया। इसके बाद हमलोगों ने रात में ही पठानकोट जाने के निर्णय लिया जहाँ से हिमाचल की बस मिल सकती थी और वो लोग बाकि बचे एक दिन में अमृतसर घूमने की योजना बना लिए। 8:30 में जम्मू से एक ट्रेन थी। इसके खुलने से मात्रा आधा घण्टा पहले हमलोगों को काउंटर से कन्फर्म टिकट मिल गया। हमलोग पठानकोट उतरे और बाकी तीन अमृतसर जाने के लिए जलंधर उतरे। लेकिन आगे के यात्रा लिए सभी को सुबह ही साधन मिल पाया।

#ईशान जी के यहाँ:-

हमारे एक मित्र है ईशान जी, उनके यहाँ पहले भी कई बार जा चुके थे, उनका घर ठीक पठानकोट-धर्मशाला हाइवे पर भडवार गाँव मे पड़ता है। पठान कोट से निकलकर सुबह सुबह ही हमलोग उनके घर पहुँच गए। यहाँ से हमलोग उनके लिए बक्सर की पापड़ी और माता का प्रसाद इत्यादि लेकर गए थे। उन्होंने थोड़े देर बाद अपनी एक कार लाकर हमलोगों के सामने खड़ा कर दी और बोल दिया कि इसे ले जाओ और जितने मन उतने दिन घूम कर आओ। लेकिन हम में केवल अनिकेत को ही गाड़ी चलाने आता था वो भी पहाड़ पर गाड़ी चलाने के नाम पर हिचक गया। किसी तरह उसको समझा बुझा कर ड्राइविंग करने के लिए राजी किए और उनकी सेंट्रो कार लेकर हम तीन लोग निकल गए हिमाचल भ्रमण के लिए…

शुरू में हमलोग ने सोचा कि गाड़ी चलाने में परेशानी आएगी तो ज्यादा नहीं घूमेंगे एक दो दिन में बस वापस आ जाएंगे, चूँकि वो मैदानी भाग में गाड़ी चलाने में एक्सपर्ट था ही इसलिए कोई दिक्कत नहीं हुई और हमलोगों का हिम्मत बढ़ गया। फिर क्या था हमलोग उधर ही 4-5 दिन घूमते रहे।

#धर्मशाला भ्रमण और मैक्लोडगंज:-

धर्मशाला

धर्मशाला को हिमाचल की शीतकालीन राजधानी भी कहा जाता है जो कि वहाँ से 60 किमी की दूरी पर था। भारत में बसे अधिकांश तिब्बती शरणार्थी यही बसे हुए थे। यही पर दलाई लामा मंदिर भी है और हिमाचल का क्रिकेट स्टेडियम भी।

हमलोग कार से धर्मशाला फिर उससे भी ऊपर मैक्लोडगंज में पहुँचे। जहां वगसुनाग वाटरफॉल मनमोहक दृश्य उतपन्न कर रहा था। दो तीन घण्टे उधर बिताने के बाद हमलोग वापस चलने का विचार किए और लौटते हुए स्टेडियम देखते हुए जाने का विचार बना लेकिन स्टेडियम 5 बजे ही बंद हो जा रहा था जबकि हमलोग 7 बजे पहुँचे थे। हालाँकि सूर्य देवता उधर करीब 8 बजे डूबते है अतः पर्याप्त रोशनी थी। हमलोगों ने आज रात का पड़ाव धर्मशाला के बजाए कांगड़ा में डालना उचित समझा। वहाँ पर हमें सस्ते होटल मिल गए और पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था हो गई।

#ताजा-ताजा खुला लॉकडाउन:-

जब हमलोग हिमाचल में प्रवेश किए उससे एक दिन पहले ही पर्यटकों को हिमाचल में एंट्री के लिए ई-पास की अनिवार्यता पर रोक लगी थी। अतः हमलोग जहाँ भी जाते थोड़ा सुना सुना ही मिलता हालांकि इससे हमलोगों को थोड़ा सुविधा ही मिला और शांति के साथ प्रकृति में विचरण करने का मौका मिला। इसके चलते होटल से लेकर हर चीज सस्ता भी मिल रहा था। हालांकि अब 10 दिन के बाद हालात बदल गए है और हर जगह पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

#रात्रि विश्राम कांगड़ा में:-

24 जून की रात हमलोगों ने कांगड़ा शहर में बिताया, उसके अगले दिन हमलोगों की योजना हिमाचल की प्रसिद्ध शक्ति स्थानों के दर्शन करते हुए कुल्लू मनाली तक यात्रा करने की थी…


पार्ट 3

बीर-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग और कुल्लू मनाली भ्रमण

 

#माँ_ब्रजेश्वरी_देवी दर्शन:-

आज 25 जून को हमलोग कांगड़ा शहर में थे, वहाँ एक प्रसिद्ध शक्ति स्थान माँ ब्रजेश्वरी देवी का मंदिर था सो हम सुबह नहा धो कर दर्शन करने निकल गए। हालाँकि अन्य मंदिरों की तरह ये भी बंद ही था। इसलिए बाहर से ही मंदिर दर्शन करना पड़ा। सारे मंदिर 1 जुलाई से खुलने वाले थे। इसलिए आगे भी जहाँ गए एक दो अपवाद को छोड़ कर सारे मंदिर बंद ही मिले।

#चामुंडा देवी और महाकाल मंदिर दर्शन:-

चूँकि हमलोगों ने कुल्लू मनाली तक जाने का सोचा था इसलिए रास्ते मे जो भी दर्शनीय स्थल थे सब घूमते हुए जाने का निश्चय हुआ। कांगड़ा के बाद हम माँ चामुंडा देवी दर्शन को रुके और बाहर ही बाहर दर्शन कर आगे बढ़ गए। हालाँकि चामुंडा देवी में हमलोगो गर्भगृह तक जाने की अनुमति मिल गई बस पूजा पाठ कोई नही कर सकता था। फिर वैजनाथ में महाकाल का मंदिर है उसको भी बाहर से ही दर्शन करना पड़ा। उसके बाद पालमपुर होते हुए बीर-बिलिंग पहुँचे।

#बीर-बिलिंग_में_पैराग्लाइडिंग:-

पैराग्लाइडिंग की दुनिया में यह अनोखा नाम है, एशिया का सबसे ऊँचा टेक-ऑफ स्थल। बीर और बिलिंग दो जगह है, बीर लैंडिंग की जगह है उससे 14 किमी ऊपर करीब कट से टेकऑफ करते है और नीचे 5000 फुट पर बीर स्थित लैंडिंग साइट पर लैंड होते है। बीर से बिलिंग जाने के क्रम में बहुत ही ज्यादा zig-zag रास्ता है। इस 14 किमी के चढ़ाई में हमलोग गाड़ी 8 किमी ही चढ़े थे कि सबके साथ हमारे ड्राइवर साहब भी थक गए। इसलिए हमलोग गाड़ी बीच में ही रोक कर आराम करने लगे और प्राकृतिक नजारों का लुफ्त उठाने लगे। तभी ऊपर से पायलटो की एक टीम उतर रही थी वे लोग हमे देख वही पर रुक गए और बार-बार एक राइड लेने की रिक्वेस्ट करने लगे।

बीर बिलिंग

दरअसल हमलोगो को पैराग्लाइडिंग करने का विचार ही नहीं था, लेकिन रास्ते मे पड़ता था तो देखने चल दिए। लेकिन उन लोगो को बहुत ज्यादा रिक्वेस्ट करने के बाद पहले एक तैयार हुआ फिर सभी तैयार हो गए। वो लोग हमें एक ड्राइवर भी दे दिए जो हमारी गाड़ी को नीचे तक लाता और हमलोग चल दिए ऊपर पहाड़ से नीचे कूदने।

हमारा ये दूसरा राइड था पहले भी एक बार खजियार में पैराग्लाइडिंग किए थे लेकिन तब 2-3 मिनट में ही नीचे गिर गए उतना मजा नही आया। लेकिन यहाँ गिरने से पहले 15-20 मिनट तक हवा में रहे और हमारे पायलट ने बीच हवा में हमे पैरासूट पर स्टंट भी करवाया। शुरू में जब हम राइड को तैयार होने लगे तो पालयट ने पैरासूट को हमारे शरीर को कई जगहों से बांध कर लॉक कर दिया और उसी तरह अपने को भी और वो मेरे पीछे खड़ा हो गया। फिर वह मुझे जोर से आगे की तरफ दौड़ने को बोला, जिससे पैरासूट हवा में टँग गया और पैरासूट के साथ हमदोनो भी।

हमारे पीछे आटोमेटिक एक कुर्सीनुमा सीट बन गई थी जिस पर हम आराम से बैठ कर अपने आसपास के नजारे देख रहे थे और पैरासूट धीरे-धीरे नीचे गिर रहा था। हमारा पायलट पैरासूट को कंट्रोल कर रहा था ताकि वह सही दिशा में जाए। उसने हमें एक गो प्रो कैमरा दिया जिसमें हमने कुछ बातों को record भी किया। बीच में पायलट ने जब पैरासूट के साथ  स्टंट कराना शुरू किया तब बहुत ज्यादा रोमांच हुआ। और इस तरह करीब 15-20 मिनट बाद हमलोग सफलतापूर्वक बीर में लैंड किए। बीर में ही हमलोगों को शाम हो गया अतः हम वही रुक गए और अगले दिन मनाली की ओर प्रस्थान किए।

 

#मनाली_दर्शन:- 26 जून को सुबह जल्दी ही तैयार होकर हमलोगों ने बीर छोड़ दिया और चल दिए मनाली की ओर। लगातार दिन भर ड्राइविंग के बाद शाम तक हम मनाली में थे। बहुत ही खूबसूरत शहर था साथ ही बहुत ही महंगा भी। वहाँ का हर चीज महंगा। हमलोगों लगा था कि हर जगह की तरह यहाँ भी अभी भीड़-भाड़ नहीं होगी लेकिन हर जगह लोग ही लोग दिख रहे थे और इस तरह होटल वालो के भाव भी बढ़े हुए थे। एक व्यक्ति बोला कि बस आज ही से यह भीड़ बढ़ी है कल तक शहर खाली ही था। दरअसल लॉकडाउन हटे आज 3 दिन हो गए थे। खैर किसी तरह कोई होटल चुन सभी जल्दी सो गए क्योंकि लगातार यात्रा  से बहुत थक गए थे।

कर पार्किंग में समस्या:- भीड़ बहुत बढ़ने के कारण हमलोगों को कार पार्किंग के लिए जगह भी नहीं मिल रही थी। एक पैड पार्किंग वाले के पास गए तो वह रात भर के लिए 300 रु मांगने लगा। वहाँ अधिकांश लोग सड़क के किनारे लाइन से खुले में कार पार्क किए हुए थे उसमें भी जगह नही दिखाई दे रही थी। बहुत आगे जाने पर एक जगह खाली स्थान दिखाई दे गया जहाँ हमलोगों ने कार पार्क कर दी। और अगले दो दिन तक वह उसी जगह पर रही। मतलब खुले आसमान में भी बहुत मुश्किल से वह जगह मिली थी।

 

#रोहतांग_दर्रा :-

27 जून को सुबह जल्द ही सभी तैयार हो बाहर आ गए। वहाँ रोड पर आते ही सारे टैक्सी वाले आपसे रोहतांग दर्रा जिसे रोहतांग पास भी बोलते है चलने के बारे ही पूछते। क्योंकि वही एक सबसे नजदीक जगह थी जहाँ जून में भी रोज बर्फ पड़ती थी और आप बर्फ से खेल सकते थे। हमलोगों ने टैक्सी न चुन कर के बस का विकल्प चुना। उसका भाड़ा आने जाने को लेकर 600 रु था। 10 बजे हमलोग बस में बैठे तो वह पौने 1 बजे 13000 फिट की ऊँचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा के पास थी। वहाँ वह लगभग दो घण्टा थी। इसी बीच सभी यात्रियों को वहाँ आसपास घुमलेने की छूट दी गई थी। वहाँ की सड़कें हर रोज बर्फ से ढक जाती होगी जिसे रोज साफ करके हटाया जाता होगा। दो घण्टे कब निकल गए पता ही नही चला। और हम वहाँ ठंडी के लिए विशेष कपड़े लेकर गए थे लेकिन उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। शायद हवा न चलने के वजह से ठंड न लग रही हो। लेकिन बस एक इनर पर काम चल गया।

लगभग 02:30 बजे बस वहाँ से खुली तो आगे खुक्सर होते हुए अटल टनल के रास्ते हम वापस मनाली पहुँचे, रास्ते में आसपास दिखाई देने वाली ऊँची-ऊँची बर्फीली चोटिया अद्भुद दृश्य पैदा कर रही थी। दरअसल वह रास्ता वन वे कर दिया गया था जिसमें कोई भी अटल टनल से रोहतांग दर्रा नही जा सकता है उसे मनाली से जाना होगा और वहाँ से आने के लिए अटल टनल का रास्ता पकड़ना होगा।

निजी वाहन के लिए परमिट की मुश्किल:- जब हम अपनी कार ले कर गए थे तो वहाँ भी अपनी कार से ही जाने की सोच रहे थे लेकिन वहाँ जाकर पता चला कि सरकार रोहतांग दर्रा जाने के लिए केवल टैक्सियों को ही अनुमति दे रही है निजी वाहन को अनुमति लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, इसीलिए हमलोगों को बस का रास्ता चुनना पड़ा।

 

#वापसी:-

 

रोहतांग दर्रा से लौटते लौटते शाम हो गया फिर हमलोग आज ही हिडिम्बा मंदिर दर्शन को चल दिए जहाँ से लौटते-लौटते रात के 9 बज गए। फिर अगले दिन 28 जून को सुबह-सुबह नजदीक ही वशिष्ठ कुंड के गर्म पानी मे हमलोगों ने स्नान किया और फिर घर वापसी की राह पकड़ ली।

यहाँ से ईशान जी का घर 300 किमी था ऊपर से पहाड़ी रास्ता लेकिन अब घूमने से मन भर गया था कि आज ही उनकी कार वापस देकर घर लौटने को बेकरार हो गया। रास्ते में रुक कर पठानकोट से दिल्ली तक त

त्काल टिकट भी बुक कर लिया। अंत में रात को 9 बजे तक हम उनके घर पहुँच गए। अगले दिन शाम को दिल्ली के लिए निकल लिए फिर दिल्ली से अगले दिन शाम को ट्रेन पकड़े तो 01 जुलाई को सुबह तक बक्सर में थे।

समाप्त

 

कैसी लगी मेरी यह यात्रा वृतांत, इसे पढ़ कर टिप्पड़ी अवश्य कीजिएगा। धन्यवाद