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मेरी शिमला यात्रा, जुलाई 2023

यात्रा वृतांत

#मेरी_शिमला_यात्रा

by Alok Desh Pandey

यात्रा अवधि:- (दिनांक:- 30-06-23 से 03-07-23 तक)


 

दोस्तों कुछ दिन पहले मैंने शिमला की यात्रा की थी, उसका अनुभव मैं इस यात्रा वृतांत में रख रहा हूं। मैं हिमाचल प्रदेश में कई बार जा चुका था लेकिन शिमला कभी नहीं जा पाया था, क्योंकि शिमला थोड़ा पूर्वी हिमाचल की तरफ पड़ता था, और मैं हर बार पश्चिमी हिमाचल का ही दौरा कर वापस आ जाता था, वैसे भी ज्यादातर दर्शनीय स्थल पश्चिमी हिमाचल के तरफ ही है। लेकिन इसके वजह से शिमला के विश्व प्रसिद्ध चीजों को बहुत मिस कर रहा था जैसे हेरिटेज टॉय ट्रेन इत्यादि।

अंततः वो घड़ी आ गई जब हमे मौका मिल गया और एक साथी भी, हुआ दरअसल ये था कि मेरे एक मित्र अनमोल का किसी कंपटीशन का एग्जाम सेंटर वही दे दिया था और उसका एग्जाम 2 जुलाई को था इसीलिए हमने यही योजना बनाई उसके एग्जाम के बहाने हम भी घूम आते है और फिर मैं दिल्ली पहुंच गया जहां वो रहता था फिर निकल लिए दिल्ली से शिमला 30 जून को ही।

#मानसून_और_हिमालय

 

मानसून शुरू होने के साथ ही टीवी पर लगातार पहाड़ों पर भूस्खलन की खबरें आने लगती है, और हिमालयी क्षेत्रों से भी ऐसे खबरें आ रही थी, इसलिए कहीं भी जाने से पहले वहां का अपडेट जरूर लेना चाहिए और ताजा अपडेट के अनुसार शिमला में ऐसी कोई खबर नहीं थी यहां तक कि अगले दो तीन दिन तक बारिश की संभावना भी नहीं थी, और सच में इस बीच बारिश नहीं भी हुई जिससे हम शिमला को अच्छी तरह एक्सप्लोर कर पाए।

हालांकि हमको देख के हमारे एक मित्र ने एक सप्ताह बाद का प्लान बनाया लेकिन उनकी किस्मत वैसी नहीं थी, उस समय तक भूस्खलन से बहुत से रास्ते बंद हो गए, टॉय ट्रेन भी रुक गई।

 

#पहली_बार_टॉय_ट्रेन_का_सफर

 

दिल्ली से हमलोग ट्रेन से जाने वाले थे ताकि आगे कालका से टॉय ट्रेन की सवारी की जा सके। इसके लिए हमलोग ने नेताजी एक्सप्रेस में तत्काल रिजर्वेशन कराया जो दिल्ली में रात 9 बजे खुलकर सुबह में 3:00 बजे कालका उतार देती थी। वहां से सुबह 05:45 में एक टॉय ट्रेन थी जो दोपहर 11:00 बजे शिमला पहुंचा दे रही थी। उसका भी रिजर्वेशन एक दिन पहले मिल गया लेकिन ये खुशकिश्मती ही थी, क्योंकि उस ट्रेन में भी टिकट के लिए बहुत मारा-मारी रहती है, इसलिए इसमें महीना दिन पहले टिकट बुक करा ले तो ही ज्यादा बढ़िया रहेगा।

हमारी ट्रेन करीब डेढ़ घंटे लेट पहुंचाई लेकिन फिर समय से पहले पहुंच गए थे, वहां पहुंचने के बाद मुझे एक रेल मोटर कार भी दिखी, वो एक दम मिनी बस जैसा लग रहा था लेकिन पटरी पर चलता था, उसका कंडक्टर लोगो से इंस्टेंट 800 रु लेकर टिकट दे रहा था। हमलोग का ट्रेन भी पूरी तरह फर्स्ट क्लास थी लेकिन उसका किराया 600 रु ही था। उसमें बैठते ही ट्रेन के कर्मचारी ने हमलोगो को नाश्ता और चाय वैगेरह परोसना शुरू किया हालांकि हमारे एक बगल के एक यात्री को नाश्ता नहीं दिया गया तो शिकायत करने पर पता चला उसने टिकट बुक करते समय फूड वाले ऑप्शन को टिक नहीं किया था। हालांकि उसका टिकट खर्चा हमलोगों से कम नहीं लगा था। फिर रिक्वेस्ट करने पर कैटरिंग वाले ने 150 रु लेकर उसको नाश्ता दिया।

बीच में ट्रेन एक जगह 1 घंटा रुक भी गई थी। इस बीच टॉय ट्रेन से पूरे रास्ते भर पहाड़ों के अदभुद नजारे दिखाई देते रहे, इस क्षेत्र में 100 से ज्यादा सुरंगे बनी हुई है, हर थोड़े देर कोई न कोई सुरंग से होकर ट्रेन गुजर रही थी। दोपहर 12 बजे तक हम शिमला स्टेशन पर थे।

 

#शिमला_में_सस्ता_होटल

 

शिमला चूंकि पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान है इसलिए बहुत महंगा भी है, लेकिन थोड़ा बहुत दिमाग लगाने पर फिर भी गुंजाइश बन जाती हैं। हमने यूट्यूब पर कई vlog देखे जिसमें मुझे एक सस्ते होटल के बारे में पता चला जो स्टेशन से मात्र 500 मीटर दूर था। उसका नाम बिंदु राज सूद धर्मशाला था, लेकिन होटल से जरा भी कम था, सारे कमरे फ्रेस और बाथरूम टाइल्स लगे हुए थे, उसमें 600 रु में हमलोग एक कमरा ले लिए। थोड़े देर सुस्ताने के बाद आज ही हमलोगों ने शिमला शहर घूम लेने की योजना बनाई और निकल लिए पैदल ही शिमला शहर में। सबसे पहले मॉल रोड गए वहां रिज नामक एक बहुत ही फेमस जगह थी, कुछ देर वहां बिताने के बाद वहां से शिमला के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर जाखू टेंपल की चढ़ाई चढ़ना शुरू किए, डेढ़ किमी की चढ़ाई में ही हम लोग थक गए थे, हालांकि मौसम बहुत सुहावना और हल्का ठंडा था सो ज्यादा पसीने की समस्या नहीं हुई, वहां हनुमान जी की 108 फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित थी जो बहुत ही भव्य लग रही थी और सभी पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। वहां से हमलोग मंदिर से दर्शन कर आते- आते बहुत थक चुके थे।

 

#खाना_का_बहुत_ही_महंगा_होना :-

 

शाम को जब रिज पॉइंट पर टहल रहे थे तब तक भूख लग आई थी, सो वहां एक भव्य मार्केट लगा हुआ था वहां कुछ खाने की सोचते परंतु उसके दाम सुन होस ठिकाने लग गए। दो लिटी चोखा 100 रु की तो 1 प्लेट छोला भुटुरा 120 की, लेकिन भूख लगी थी तो कोई चारा नहीं था, रात को धर्मशाला में बगल में खाना खाए तो साधारण खाना 80 रु प्लेट के दर से दिया। खैर हो सकता है इस मामले में ये भी हो सकता है कि हमलोगों ने ज्यादा खोजबीन नहीं की।

 

#शिमला_के_आसपास_की_जगह:-

 

आज हमको अकेले ही घूमना था, अनमोल का दिन भर एग्जाम चलने वाला था, तो हमने सोचा की कुफरी घूम के आते है, इस बीच हमलोग होटल से चेक आउट कर दिए कि आज दिन भर घूम कर शाम को दिल्ली वाली बस पकड़ लेंगे तो रुकने की क्या आवश्यकता है, लेकिन इसके कारण हमको दिन भर भारी भरकम पिट्ठू बैग ढोना पड़ गया जिससे थोड़ा मजा जरूर किरकरा हो गया।

#कुफरी:- इससे पहले कुफरी के बारे में जानते नहीं थे सोचे अच्छी जगह होगी चल कर देखते हैं। लेकिन शुरुआत में ही बहुत पैदल चलना पड़ गया, जो बस पकड़े थे वह कुफरी से 2 किलोमीटर आगे उतार दिया, भारी बैग लेकर वापस आने में हालत खराब हो गई। गलती से किसी टैक्सी से पूछ भी देंगे तो 300-400रु से कम रु नहीं लेगा। जो भी हो पैदल घूमने का तो अलग ही मजा है, इस बीच इंटरनेट से जितना भी जानकारी जुटाया उससे पता चला कि यहां बर्फबारी के सीजन में लोग ज्यादा आते हैं इस बीच रास्ते में बहुत से एजेंट हमें एडवेंचर कराने के लिए रोकते मिले, वो लोग खच्चर पर बैठा किसी पॉइंट पर ले जाने की बात कर रहे थे। लेकिन हमको मैप में 2 किमी दूर एक चिड़िया घर का लोकेशन दिखाई दिया मैंने उधर व्यर्थ खर्च न कर चिड़िया घर देखना ही उचित समझा हालांकि उसकी चढ़ाई भी अच्छी खासी हो गई थी। भारी भरकम बैग लेकर पैदल चल चल दोपहर 2 बजे तक ही बहुत थक चुका था सो सीधे शिमला जा रही एक बस को पकड़ा और दिल्ली वाली बस स्टैंड पर उतर गया। यहां भोजन अन्य जगहों के मुकाबले कुछ सस्ता था। सो भोजन वैगेराह कर वही अनमोल का इंतजार करने लगा। 700 रु में दिल्ली के लिए AC बस का टिकट मिल गया। इस बीच वो भी परीक्षा दे कर आ गया। हमलोगों की बस शाम को 7 बजे खुली तो दिल्ली में सुबह 4 बजे कश्मीरी गेट उतार दी।

समाप्त